•झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ पिता ने डॉक्टर की सलाह पर सरकारी अस्पताल में कराया भर्ती
• पिता की तत्परता और डॉक्टरों की मेहनत से मौत के मुंह से वापस लौटी कल्पना
फौजिया रहमान खान
मुजफ्फरपुर, 17 जुलाई :
किसी पिता के सामने उसकी बच्ची बेहोश पड़ी हो तो पिता किसी भी उपाय से बच्ची की जान बचाने में जुट जाते हैं. ऐसे समय में कई लोग विभिन्न तरह की सलाह देना शुरू कर देते हैं. गायघाट प्रखंड के भगवतपुर गांव निवासी रमेश राय के साथ भी ऐसा ही हुआ। उनकी 3 साल की बच्ची कल्पना चमकी बुखार की चपेट में आ गई। दांत पर दांत बैठ गया और देखते ही देखते अचेत हो गई। बच्ची की हालत देख किसी ने ओझा-गुणी के पास झाड़-फूंक के लिए जाने की सलाह दी तो किसी ने वैध हकीम के पास। ऐसे समय में चमकी बुखार पर जागरूकता काम आई। रमेश राय बच्ची को लेकर सीधे डॉक्टर के पास भागे। डॉक्टर की सलाह पर बिना समय गंवाए बच्ची को तुरंत सरकारी अस्पताल ले जाया गया। वहां प्राथमिक उपचार के बाद बच्ची को एसकेएमसी अस्पताल रेफर किया गया। मुकम्मल इलाज के बाद आखिरकार कल्पना को नई जिंदगी मिली। पिता अगर जागरूक न होते तो कल्पना को बचा पाना मुश्किल होता। एक जागरूक पिता ने जिस तरह से अपनी बच्ची को मौत के मुंह से वापस निकाल लिया, वह दूसरों के लिए एक मिसाल है।
घर से 5 किमी दूर बाइक पर बच्ची को बैठाकर पहुंचे चिकित्सक के पास :
रमेश राय ने बताया दोपहर के लगभग 12:30 का समय रहा होगा, जब उन्हें यह खबर मिली कि कल्पना को मिर्गी जैसा हो रहा है, उसका दांत बैठ चुका है। वह दौड़े भागे बेटी के पास पहुंचे। बेहोश बेटी को बाइक पर बैठाकर 5 किलोमीटर दूर बेनीबाद एक प्राइवेट डॉक्टर की क्लीनिक में कल्पना का इलाज कराने पहुंचे। रमेश राय ने बताया कि वह लॉकडाउन में किसी तरह पैसा जमा करके प्राइवेट डॉक्टर के पास पहुंचे. चिकित्सक ने बच्ची को देखकर चमकी बुखार की आशंका जाहिर की एवं बच्ची को तुरंत गायघाट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाने की सलाह दी. उन्होंने रमेश राय को समझाया कि चमकी बुखार में शुरुआती 1 घंटा बहुत ही महत्वपूर्ण होता है एवं सही समय पर सरकारी अस्पताल पहुँचने पर बच्ची की जान बचायी जा सकती है.
पीएचसी गायघाट में उस दिन ड्यूटी पर तैनात एएनएम रिंकू कुमारी ने बताया जैसे ही कल्पना यहां आई, सबसे पहले उसका टेंपरेचर और शुगर जांच कर प्राथमिक चिकित्सा के बाद प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर योगेश नारायण की सलाह पर फौरन एंबुलेंस द्वारा उसे एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर रेफर कर दिया गया। वहां चमकी बुखार की पुष्टि के बाद उसे एडमिट कर लिया गया।
सरकारी डॉक्टरों का शुक्रिया अदा करती हैं कल्पना की मां :
कल्पना की मां आरती देवी ने बताया उनकी बेटी जिस हाल में थी, उसे देखकर उनकी जान निकल रही थी। रोने के अलावा कुछ भी नहीं कर पा रही थी। चार-पांच दिनों बाद जब उनकी लाड़ली को डिस्चार्ज कर दिया गया और उस को लेकर वह आ रही थी तभी फिर से कल्पना को चक्कर आया और मिर्गी सा होने लगा। चिकित्सकों ने फौरन उसे वापस अस्पताल में दाखिल कर लिया और फिर 6 दिनों तक अस्पताल में ही रखा, जब तक वह पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो गयी. कल्पना की स्थिति से जब चिकित्सक आशवस्त हो गए तो उन्होंने 17 अप्रैल 2020 को कल्पना को डिस्चार्ज किया। आरती ने बताया वह सरकारी चिकित्सकों की आभारी है, जिन्होंने उनकी बच्ची को मौत के मुंह से निकाल कर उनकी गोद में डाल दिया।